अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, अगर आप भी दुआ ए क़ुनूत को उर्दू तर्जुमे के साथ सीखना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा ज़रूर पढ़ें। इंशाअल्लाह, आप इस दुआ को तर्जुमे के साथ आसानी से सीख जाएंगे।
दुआ ए क़ुनूत भी सभी दूसरी दुआओं की तरह एक ख़ूबसूरत दुआ है। वित्र की तीसरी रकात में Dua e qunoot in hindi पढ़ी जाती है। बहुत से लोगों को ये दुआ याद नहीं होती, जिसकी वजह से नमाज़ में परेशानी होती है। इस आर्टिकल में हम आपको दुआ ए क़ुनूत को उर्दू तर्जुमे के साथ बताने जा रहे हैं, ताकि आप इसे आसानी से याद कर सकें और नमाज़ में इसका सही तरीक़े से इस्तेमाल कर सकें।
इस आर्टिकल का मक़सद आपको Dua e qunoot को समझाना और इसका सही तर्जुमा सिखाना है, ताकि आप इसे अपनी नमाज़ में शामिल कर सकें और अल्लाह तआला से मदद और रहमत की दरख्वास्त कर सकें।
दुआ ए क़ुनूत की अहमियत
दुआ ए क़ुनूत की अहमियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि नबी अकरम ﷺ ने मुख़्तलिफ़ मौक़ों पर इसे अपनी नमाज़ में शामिल किया है। इस दुआ के ज़रिए हम अल्लाह तआला से मदद की फ़रियाद करता है और अपनी मुश्किलात को हल करने के लिए से दुआ करता है।
दुआ ए कुनूत हिंदी में (Dua e Qunoot In Hindi)
“अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तई’नुका व नस्तग़फिरुका व नुमिनु बिका व नतवक्कलु अलैक, व नुस्नीय् अलैकल् ख़ैर
व नशकुरुका व ला नक्फ़ुरुका, व नखला’उ व नतरुकु मय्य फ्जुरुक
अल्लाहुम्मा इय्याका न’अबुदु व लका नुसल्ली नस्जुदु व इलैका नस’आ व नहफिदु, नर्जू
रहमतक व नख्शा अजाबक, इन्न अजाबक बिलकुफ्फ़ारि मुल्हिक”
तर्जुमा- ऐ अल्लाह हम आप से मदद चाहते है, और आप से माफ़ी मांगते है, और आप पर ही ईमान लाते है, और आप पर भरोसा रखते है, और आपकी बहुत तारीफ करते है, और आपका शुक्र अदा करते है, ना सुकरी नही करते और अलग करते है, और छोड़ते है, उस सख्स को जो आपसे ना फ़रमानी करते है | ऐ अल्लाह, हम आपकी ही इबादत करते हैं और आपके लिए ही नमाज़ पढ़ते हैं और सजदा करते हैं और आपकी तरफ दौड़ते और झपटते हैं और आपकी रहमत के हकदार हैं और आपके आजाब़ से डरते हैं, और बेशक आपका आजाब़ काफिरों को पहुंचने वाला है।
Dua e Qunoot In Arabic
للَّهُمَّ إِنَّا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ
وَنُثْنِي عَلَيْكَ الْخَيْرَ, وَنَشْكُرُكَ وَلا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَا
للَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّي وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعَى وَنَحْفِضُ وَنَرْجُو
رَحْمَتَكَ وَنَخْشَى عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالْكُفَّارِ مُلْحِقٌ
दुआ ए कुनूत उर्दू तर्जुमे में | Dua e Qunoot with urdu Translation
اے اللہ! ہم تجھ سے مدد مانگتے ہیں اور تجھ سے معافی چاہتے ہیں، اور تجھ پر ایمان لاتے ہیں اور تجھ پر بھروسہ کرتے ہیں، اور تیری تعریف کرتے ہیں، اور تیرے شکر گزار ہیں اور تیری ناشکری نہیں کرتے، اور ہم ان سے الگ ہو جاتے ہیں اور ان کا ساتھ چھوڑ دیتے ہیں جو تیری نافرمانی کرتے ہیں۔ اے اللہ! ہم صرف تیری عبادت کرتے ہیں اور صرف تیرے لیے نماز پڑھتے ہیں اور سجدہ کرتے ہیں، اور تیرے ہی لیے ہم دوڑتے اور کوشش کرتے ہیں، اور تیری ہی رحمت کی امید رکھتے ہیں، اور تیرے عذاب سے ڈرتے ہیں، یقیناً تیرا عذاب کافروں کو پہنچنے والا ہے۔
Dua e Qunoot In Roman English
Allahumma inna nast-ainoka wa nastag-feeru ka wa nu’minu bika wa natawakkalu alaika wa nusni alaikal khair wa nashkuruka wa la nakfuruka wa nakhla-oo wa natruku man yafjurook
Allahumma iyyaka na’budu wa laka nusalli wa nasjudu wa ilaika nas-sa’a wa nahfzu wa narju rahmataka wa nakhshaa azaabaka inna azaabaka bil-kuffaari mulhikk
Dua e Qunoot in English Translation
O Allah, we seek Your help and Your forgiveness, and we believe in You and rely on You, and we praise You in the best way we can. We thank You and we are not ungrateful to You, and we forsake and turn away from whoever disobeys You.
O Allah, You alone do we worship, and to You do we pray and prostrate, and for Your sake, we strive and work. We hope for Your mercy and fear Your punishment. Indeed, Your punishment will befall the disbelievers.
दुआ ए क़ुनूत की फ़ज़ीलत
- नबी करीम ﷺ की तालीमात: दुआ ए क़ुनूत को नबी करीम ﷺ ने अपनी नमाज़ों में अलग-अलग मौकों पर शामिल किया और इसकी अहमियत को बताया। इस दुआ के ज़रिए अल्लाह से मदद और रहनुमाई मांगी जाती है।
- अल्लाह से मदद: ये दुआ अल्लाह तआला से मुश्किलात के हल और मदद का ज़रिया है। इससे अजीजी और इंकिसारी के साथ अल्लाह से मदद की दरख्वास्त की जाती है।
- रूहानियत: दुआ ए क़ुनूत से दिल को सुकून और रूहानियत मिलती है। हमारे ईमान को मजबूत करती है और अल्लाह के करीब होने का एहसास देती है।
- मुसीबत के वक्त: इस दुआ को पढ़ने से मुश्किलात दूर हो जाती है । नबी करीम ﷺ ने इस दुआ के ज़रिए अल्लाह से मदद मांगने की तालीम दी है।
- वित्र नमाज़: वित्र नमाज़ में दुआ ए क़ुनूत का होना ज़रूरी है। दुआ इ क़ुनूत इत्र नमाज़ में पढ़ना वाज़िब है, इसलिए है,ममे इसे याद करना बेहद ज़रूरी है।
Dua e Qunoot Yaad Na Ho to Kya Padhe | दुआ ए कुनूत याद ना हो तो क्या पढ़े
वित्र की नमाज़ में दुआ-ए-क़ुनूत पढ़ना वाजिब है, लेकिन कई लोगों को दुआ-ए-क़ुनूत याद नहीं होती। ऐसे में कोशिश करनी चाहिए कि दुआ-ए-क़ुनूत याद कर लें। लेकिन जब तक ये दुआ याद न हो, नीचे दी गई दुआ को भी पढ़ सकते हैं।
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
रब्बना आतिना फिद दुनिया हसन तव वफिल आखिरति हसन तव वकिना अज़ाबन नार
Rab Bana Aatina Fid-Dunya Hasana tanw Wa-fil Aakhirati Hasana tanw Waqina Azaa ban Naar
तर्जुम”- हे हमारे रब! हमें दुनिया और आख़िरत में नेकी अता करें। और हमें जहन्नुम की आग से दूर रखें।”
(यह दुआ कुरान की सूरतुल बकरा की आयत 201 में है।)
दुआ-ए-क़ुनूत भूल जाने पर क्या करें
अगर वित्र की तीसरी रकात में दुआ-ए-क़ुनूत पढ़ना भूल जाएं, तो इस्लामी तालीमात के मुताबिक, सबसे पहले बैठकर अत्ताहिय्यात पढ़ें। फिर एक सलाम फेरे और दूसरा सलाम न फेरते हुए दो सजदे करें (सज़दा सहव)। आखिरी में अत्ताहिय्यात, दुरूदे इब्राहीम और दुआए मासूरा पढ़कर सलाम फेरे।
इसके अलावा, मैं आपसे कुछ और बातें भी बताना चाहता हूँ।
- दुआ ए कुनूत एक बहुत ही अहम दुआ है जिसे हमें रोज़ाना वित्र की नमाज़ में पढ़ना चाहिए।
- यह दुआ हमें अल्लाह से उनकी रहम माफ़ी और मदद मांगने का मौका देती है।
- दुआ ए कुनूत पढ़ने के कई फायदे हैं, जिनमें अल्लाह SWT की रज़ा हासिल करना, गुनाहों की माफी मिलना, और मुश्किलों में मदद मिलना शामिल है।
- अगर आप अल्लाह के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहते हैं, तो आपको हर रोज़ विटर की नमाज़ में दुआ ए कुनूत पढ़ना चाहिए।
आखिरी बात
मूझे उम्मीद है कि आपने इस आर्टिकल को पढ़कर दुआ-ए-क़ुनूत (Dua E Qunoot in Hindi) हिंदी, अंग्रेज़ी, अरबी और उसके तर्जुमे के साथ अच्छी तरह से समझ लिया होगा।
ऐसी ही और दुआ को सीखने के लिए आप जुढ़े रहे
आपसे गुजारिश है की इस मजमून को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी शेयर करे और सदका ए जारिका हासिल करे।
अगर लिखने में हमारी तरफ से खता या कमी रह गई हो, तो आपसे इल्तिजा है कि हमारी इस्लाह फरमाएं और अल्लाह तआला से खता की माफ़ी की दुआ करे।
जज़ाकल्लाह खैर