कुर्बानी की दुआ हिंदी में Qurbani ki dua in Hindi
कुर्बानी करते वक़्त हमें कुर्बानी की दुआ पढ़ना बेहद जरूरी है ऐसे में अगर आपको कुर्बानी की दुआ (Qurbani ki dua) याद नहीं है तो ये आर्टिकल आपके लिए बोहोत खाश होने वाला है आज इस आर्टिकल में हम आपको कुर्बानी की दुआ (Qurbani ki dua in hindi) हिंदी, अरबी और इंग्लिश में तर्जुमे के साथ बताएंगे आपसे गुजारिश है की इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े
कुर्बानी करना एक अहम इबादत है जो हर साल ईद उल अजहा के दिन की जाती है ये हज़रत इब्राहीम (A.S.) और उनके बेटे हज़रत इस्माइल (A.S.) की याद और उनके बेहद कठिन इम्तिहान से जुड़ी है| कुर्बानी का हुक्म अल्लाह ताला और उनके रसूल मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दिया है
कुर्बानी करना एक वाजिब इबादत है हर साल लाखो मुस्लमान ईद उल अजहा के दिन कुर्बानी करने है और इस्लाम में कुर्बानी की रिवायत बहुत पुरानी है और यह हर साल ईद उल आधा के दिन की जाती है इस दिन मुस्लमान जानवर ( आम तौर पर बकरा, भेद , ऊठ) की कुर्बानी देते है
कुर्बानी की दुआ हिंदी में Qurbani ki dua in Hindi
इन्नि वज्जहतु वजही य लिल्लज़ी फ त रस समावाति वल अर द हनीफव व मा अना मिनल मुशरीक़ीन, इन्ना सलाती व नुसुकी व महयाया व म माती लिल्लाही रब्बिल आलमीन, ला शरीका लहू व बिज़ालिका उमिरतु व अना मिनल मुस्लिमीन! अल्लाहुम्मा मिन क व लक बिसमिल्लाही अल्लाहु अकबर
कुर्बानी की दुआ का हिंदी तर्जुमा Qurbani ki dua Hindi Tarjuma
मैंने अपना मुँह उस की तरफ़ किया जिसने आसमान और ज़मीन को पैदा किया,, मैं मुशरीक़ो में से नहीं हूँ, बेशक मेरी नमाज़, मेरी क़ुर्बानी, मेरा जीना और मेरी मौत सब अल्लाह ताला के लिए है, जो सारे जहान को पालने वाला है , उसका कोई शरीक नहीं, मुझे इसी बात का हुक्म दिया गया है, और मैं मुसलमानो में से हूँ, ऐ अल्लाह! ये क़ुर्बानी तेरी तौफ़ीक़ से है और तेरे लिए है
कुर्बानी की दुआ अरबी में Qurbani ki dua in Arabic
اِنِّيْ وَجَهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِيْ فَطَرَ السَّمٰوَاتِ وَالأَرْضِ حَنِيْفاََ وَّ ماَ أَناَ مِنَ الْمُشْرِكِيْنَ إِنَّ صَلَاتِيْ وَ نُسْكِيْ وَمَحْياَيَ وَمَمَاتِيْ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰالَمِيْنَ لاَ شَرِيْكَ لَهُ وَبِذٰالِكَ اُمِرْتُ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُسْلِمِيْنَ اَللّٰهُمَّ مِنْكَ وَ لَكَ بِسْمِ اللهِ الله أَكْبَرْ
कुर्बानी की दुआ इंग्लिश में Qurbani ki dua in english
Qurbani ki dua in English
Inni Waj Jhatu Wajhia Lillazi Fa Ta Rassmawati Wal Arda Hanifauw Wa Maa Ana Minal Mushriqeen. Inna Slati Wa Nusuki Wa Mahya Ya Wa Ma Maati Lillahi Rabbil Aalameen. Laa Sharika Lahu Wa Bijaalik Umirtu Wa Ana Minal Muslimin Allahumma Min Ka Wa Laak Bismllahi Allahu Akabar
कुर्बानी का तरीका Qurbani ka Tarika
कुर्बानी करने से पहले रखे इन बातो का ध्यान
- सबसे पहले अल्लाह की रज़ामंदी के लिए कुर्बानी की नियत करे
- कुर्बानी करने से पहले कुर्बानी करने की दुआ को पड़ ले
- जानवर को जमीन पर लिटाएं और उसका मुंह किबला की तरफ करें
- बेहतर रहेगा की आप कुर्बानी का जानवर अपने हाथो से जिवा करे
- तकबीर “अल्लाहु अकबर” कहें. तेज धार वाले चाकू से जानवर को जिवा करे
कुर्बानी के जानवर का गोश्त कैसे बांटा जाए
कुर्बानी के जानवर का गोश्त के तीन हिस्से लगाना सबसे अफ़ज़ल तरीका है , जिसमें कुरबानी का गोश्त तीन हिस्सों में बांटा जाता है
- एक तिहाई अपने घरवालों के लिए रख लें।
- एक तिहाई रिश्तेदारों और दोस्तों में बांट दें।
- एक तिहाई गरीब और जरूरतमंदों में दान कर दें।
कुछ मौलवियों के मुताबिक ये भी जायज़ है कि कुर्बानी का गोश्त आधा अपने लिए रखें और आधा गरीबों और जरूरतमंदों में बांट दें।
कुछ मौलवियों का ये कहना है कि कुर्बानी का सारा गोश्त भी अपने पास रखना जायज़ है लेकिन ये सबसे बढ़िया तरीका नहीं है, क्योंकि इसमें गरीबों का हक भी शामिल है।
नोट– कुरबानी के हुक्म और गोश्त के बंटवारे के बारे में ये आम जानकारी है, ज्यादा जानकारी के लिए किसी इमाम या मुफ़्ती से सलाह लेना बेहतर है।
हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और उनके बेटे हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी का वाकिया
अल्लाह के नवी हज़रत इब्राहीम को एक ख्वाब आया जिसमें उन्हें अल्लाह का हुक्म हुआ कि वो अपनी सबसे प्यारी चीज़ की कुर्बानी दें. ये उनके लिए बेहद कठिन इम्तिहान था. उनकी सबसे प्यारी चीज़ उनके बेटे हज़रत इस्माईल ही तो थे.
हजरत इब्राहीम ने अपने बेटे हज़रत इस्माईल को ये ख्वाब बताया. हज़रत इस्माईल, जो खुद भी अल्लाह के सच्चे बन्दे थे, अपने पिता के फैसले से ख़ुशी खुसी सहमत हो गए. उन्होंने कहा कि अल्लाह के हुक्म को पूरा करिये अब्बा जान. इंशाअल्लाह आप मुझे सब्र करने वालो में पायेंगे
इसके बाद हजरत इब्राहीम अपने बेटे को एक सुनसान जगह पर ले गए. उन्होंने हज़रत इस्माईल की आंखों पर पट्टी बांधी और चाकू उठा लिया. मगर जैसे ही वो चाकू चलाने वाले थे, अल्लाह की तरफ से उन्हें एक आवाज़ आई
उन्हें बताया गया कि ये सिर्फ उनकी आस्था की परीक्षा थी. उनकी कुर्बानी मंजूर हो चुकी है. अब उन्हें अपने बेटे की जगह एक मेढ़े (दुम्मे) की कुर्बानी देनी है. हज़रत इब्राहीम ने खुशी-खुशी मेढ़े की कुर्बानी दी.
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