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Dua e Masura in Namaz नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दुआ ए मासुरा|

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दुआ ए मासूरा एक ऐसी दुआ है जो आम तौर पर नमाज में पढ़ी जाती है। अगर आपको दुआ ए मासूरा याद नहीं है तो यह लेख आपके लिए है।

आज भी बहुत से लोगों को नमाज में पढ़ी जाने वाली दुआ ए मासूरा याद नहीं है। अगर आप भी इस दुआ को सीखना चाहते हैं तो इस लेख में हम आपको दुआ ए मासूरा (Dua e Masura in namaz) हिंदी, अरबी, और अंग्रेजी में बताएंगे। साथ ही साथ दुआ का तर्जुमा भी बताएंगे। इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, इंशाअल्लाह आपको यह दुआ आसानी से याद हो जाएगी।

दुआ ए मासूरा नमाज की आखिरी रकात में पढ़ी जाती है। सलाम फेरने से पहले अत्ताहियात पढ़ते हैं, फिर उसके बाद दरूद ए इब्राहिम और फिर दुआ ए मासूरा (Dua e Masura) पढ़कर सलाम फेर लेते हैं।

दुआ ए मासूरा (Dua e Masura) नमाज में पढ़ी जाने वाली एक अहम् दुआ है, जो नमाज मुकम्मल होने से ठीक पहले पढ़ी जाती है। जब हम अत्ताहियात के बाद दुआ ए इब्राहीम पढ़ते हैं, उसके बाद दुआ ए मासूरा पढ़ते हैं और फिर सलाम फेरते हैं, इस तरह से नमाज मुकम्मल होती है।

Dua e masura in namaz

अल्लाहुम्मा इन्नी जलमतू नफ्सी जुल्मन कसीरा

वला यगफिरूज जुनूबा इल्ल्ला अन्ता

फग्फिरली मग फी र तम मिन इनदिका

वर हमनी इन्नका अनतल गफुरूर रहीम

Dua e Masura in Hindi तर्जुमा- ऐ अल्लाह! मैंने अपने आप पर बहुत ज़्यादा ज़ुल्म किया है और गुनाहों का बोझ लिया है। तेरे सिवा कोई भी गुनाहों को माफ़ नहीं कर सकता। मुझे ऐसी माफ़ी दे जो तेरी तरफ़ से हो और मुझ पर रहम कर। सच ये है कि सिर्फ तू ही बहुत माफ़ करने वाला और बड़ी रहमत वाला है।

Dua e masura

اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا

وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ

فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ

أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ

(Dua e Masura in Namaz)

“Allahhumma Inni Zalamtu Nafsi julman Kaseeran,

Wa la Yaghfiruz-Zunooba Illa Anta

Faghfirlee Maghfiratan-min ‘Indika warhamni

Innakaa Antal ghafoorur Ra’heem”

Translation: O Allah, I have indeed wronged myself greatly, and no one forgives sins except You. So forgive me with a forgiveness from You, and have mercy on me. Verily, You are the Most-Forgiving, the Most Merciful.


अगर आपको दुआ ए मसूरा याद नहीं है, तो आप नीचे दी गई दुआ भी पढ़ सकते हैं। लेकिन याद रहे कि दुआ ए मसूरा पढ़ना ज्यादा बेहतर है, इसलिए आपको इसे जल्द से जल्द याद कर लेना चाहिए।

  • अल्लाह सुभानु तआला की रहमत और बरकत- दुआ ए मासूरा पढ़ने से हम अपने गुनाहों की अल्लाह तआला से माफी मांगते हैं। हर मुसलमान को यह दुआ अवश्य याद होनी चाहिए। इस दुआ को पढ़ने से न केवल हमारे गुनाह माफ होते हैं, बल्कि हमें अल्लाह सुभानहु तआला की रहमत और बरकत भी मिलती है।
  • गुनाहो की माफ़ी-जब हम अल्लाह तआला से अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए दुआ ए मासूरा को सच्चे दिल से पढ़ते हैं, तो अल्लाह सुभानहु तआला हमारे गुनाहों को माफ कर देता है। बेशक, अल्लाह बहुत माफ करने वाला है।
  • घर में बरकत- इस दुआ को पढ़ने से न केवल अल्लाह हमारे गुनाहों को माफ करता है, बल्कि हमारे कामों को भी आसान बना देता है और हमारे घर में बरकत और खैर नाजिल करता है। बेशक, अल्लाह बहुत रहीम और बड़ा देने वाला है। अल्लाह अपने बंदों से बहुत मोहब्बत करता है।

उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपसे गुज़ारिश है कि इस लेख को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी साझा करें और सवाब कमाएं।

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