Barish Hone Ki Dua | बारिश होने की दुआ
बारिश अल्लाह की एक अज़ीम नेमत है जो ज़मीन को सीराब करती है और हमारी मुख्तलिफ़ ज़रूरतों को पूरा करती है। ख़ुश्कसाली के दौरान, जब पानी की कमी होती है, तो हम अल्लाह से बारिश की दुआ करते हैं ताकि हमें उसकी रहमत हासिल हो। इस मज़मून में Barish hone ki dua उसके तरीक़े और अहमियत पर तफ़सील से बात करेंग
Dua-e-Istisqa kya hai? दुआ-ए-इस्तिस्का क्या है?
तारुफ़: दुआ-ए-इस्तिस्का एक खास दुआ है जो नबी मुहम्मद ﷺ ने हमें सिखाई है। जब बारिश नहीं हो रही हो और सूखा पड़ रहा हो, तो यह दुआ की जाती है।
मानी और मतलब: “इस्तिस्का” का मतलब है पानी की मांग करना। दुआ-ए-इस्तिस्का (Barish hone ki dua) के जरिए, हम अल्लाह से बारिश की दरख्वास्त करते हैं।
Barish hone ki dua in hindi
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
“अल्लाहुम-म अगिस्ना”
तर्जुमा:- ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे।
बारिश की दुआ का तरीका
नमाज़: सबसे पहले, दो रकात नमाज़ अदा करें। ये नमाज़ जुमे के दिन मस्जिद में या खुले मैदान में अदा की जा सकती है।
तौबा और इस्तिग़फार: अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें और तौबा करें। हमें अपनी गलतियों को याद करके अल्लाह से तौबा करे और उनसे बचने का अहद करना चाहिए।
दुआ की अहमियत
गुनाहों की माफी: दुआ करने से हम अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से रहमत की तलप करते हैं।
आज़िज़ी और इन्किसारी: दुआ में आज़िज़ी और इन्किसारी के साथ अल्लाह से मदद मांगते हैं।
नमाज़-ए-इस्तिस्का
- वक्त और जगह: नमाज़-ए-इस्तिस्का जुमे के दिन या किसी भी दिन जब ज़रूरत हो, अदा की जा सकती है। इस नमाज़ को खुले मैदान में या मस्जिद में जमात के साथ अदा करना बेहतर है।
- नमाज़ का तरीका: नमाज़ के बाद, इमाम ख़ास दुआ पढ़ते हैं और सब लोग इस दुआ में शामिल होते हैं।
- दुआ की अहमियत गुनाहों की माफी: दुआ करने से हम अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से रहमत की दरख्वास्त करते हैं।
- आज़िज़ी और इन्किसारी: दुआ में आज़िज़ी और इन्किसारी के साथ अल्लाह से मदद मांगते हैं।
बारिश की ज़रूरत और फायदे
- ज़राअत और फ़सल: बारिश ज़राअत के लिए बहुत अहमियत रखती है। यह फ़सलों की बेहतर नश-ओ-नुमा में मदद करती है।
- पानी के वसाइल: बारिश से पानी के वसाइल भर जाते हैं जो जिंदगी के लिए ज़रूरी हैं।
- खुश्कसाली के असरात मुआशरती असरात: खुश्कसाली से मुआशरती जिंदगी पर मन्फी असरात पड़ते हैं।
- माहौल पर असरात: खुश्कसाली से माहौल भी मुतासिर होता है।
बारिश की दुआ के असरात
दुआओं की क़बूलियत: अल्लाह की रहमत से दुआएँ क़बूल होती हैं और बारिश होती है।
बारिश के बाद के फायदे: बारिश के बाद ज़मीन हरियाली से भर जाती है और पानी की कमी पूरी हो जाती है।
Conclution (नतीजा)
बारिश की दुआ एक अहम और ज़रूरी अमल है जो हमें अल्लाह की रहमत हासिल करने में मदद देती है। हमें दुआ की अहमियत को समझना चाहिए और इसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाना चाहिए। अल्लाह हमारी दुआओं को क़बूल करे और हमें हर तरह की मुश्किलात से बचाए। आमीन।
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दुआ-ए-इस्तिस्का क्या है?
दुआ-ए-इस्तिस्का एक खास दुआ है जो नबी मुहम्मद ﷺ ने सिखाई है, जो बारिश के लिए की जाती है।
दुआ-ए-इस्तिस्का कब की जाती है?
जब बारिश नहीं हो रही हो और सूखा पड़ रहा हो, तब दुआ-ए-इस्तिस्का की जाती है।
दुआ-ए-इस्तिस्का का तरीका क्या है?
दो रकात नमाज़ अदा करें, अल्लाह से तौबा और इस्तिग़फार करें, और खास दुआ पढ़ें।
दुआ की क़बूलियत के लिए क्या ज़रूरी है?
दुआ की क़बूलियत के लिए नियत की खलूस और दुआ के आदाब का ख्याल रखना ज़रूरी है।