Tasbih Me Kya Padhe | जाने तस्बीह पड़ने का सही तरीका
इस्लामी मज़हब के मुताबिक़, तस्बीह (ज़िक्र) का ख़ास मक़ाम है। तस्बीह का मतलब है “अल्लाह का ज़िक्र” या “याद करना”। ये एक मज़हबी अमल है जिसमें मुसलमान मुख़्तलिफ़ दुआएँ और अज़कार को दोहराते हैं। तस्बीह में पढ़े जाने वाले मुख़्तलिफ़ अज़कार और उनकी अहमियत को समझना ज़रूरी है। इस मज़मून में, हम जानेगे की Tasbih me kya padhe और उनकी फ़ज़ीलत के बारे में तफ़सील से बात करेंगे।
तसबीह क्या है? | Tasbih Me Kya Padhe?
तसबीह एक ऐसी इबादत है जिसमें अल्लाह तआला की हम्द व सना की जाती है। यह इबादत ज्यादा तर मुसलमान नमाज़ के बाद या फुरसत के वक्त करते हैं। तसबीह का मकसद अल्लाह तआला की अज़मत को तस्लीम करना और उसके करीब होना है।
तस्बीह में पढ़े जाने वाले अहम् अज़कार
- सुब्हान अल्लाह (Subhan Allah)
- सुब्हान अल्लाह का मतलब है “अल्लाह पाक है”। ये ज़िक्र अल्लाह की अज़मत और पाकीज़गी की तारीफ़ करने के लिए किया जाता है। कुरान ओ हदीस में इस ज़िक्र की बहुत फ़ज़ीलत बयान की गई है।
- अल्हम्दुलिल्लाह (Alhamdulillah)
- अल्हम्दुलिल्लाह का मतलब है “तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं”। ये ज़िक्र अल्लाह की ने’मतों और एहसानात का शुक्र अदा करने के लिए किया जाता है। इस ज़िक्र से दिल को सुकून मिलता है और अल्लाह की ने’मतों की याद दिलाई होती है।
- अल्लाहु अकबर (Allahu Akbar)
- अल्लाहु अकबर का मतलब है “अल्लाह सबसे बड़ा है”। ये ज़िक्र अल्लाह की अज़मत और बुज़ुर्गी को तस्लीम करने के लिए किया जाता है। इससे इंसान की आज़िज़ी और अल्लाह के सामने इनकिसारी का इज़हार होता है।
तस्बीह पढ़ने के फायदे
तस्बीह पढ़ने के बहुत से रूहानी और जिस्मानी फायदे हैं:
- रूहानी सुकून: तस्बीह पढ़ने से दिल को सुकून मिलता है और ज़ेहनी दबाव कम होता है।
- अल्लाह की क़ुरबत: तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की क़ुरबत हासिल होती है और ईमान मज़बूत होता है।
- गुनाहों की माफ़ी: तस्बीह पढ़ने से गुनाहों की माफ़ी मिलती है और दिल की पाकीज़गी बढ़ती है।
- ने’मतों का शुक्र: तस्बीह पढ़ने से अल्लाह की ने’मतों का शुक्र अदा करने का मौक़ा मिलता है।
तस्बीह कैसे पढ़ें
तस्बीह पढ़ने के लिए आम तौर पर तस्बीह की माला इस्तेमाल की जाती है जिसमें 99 मोती होते हैं। हर ज़िक्र को एक मोती पर पढ़ा जाता है। बाज़ लोग 33 मोतियों की तस्बीह भी इस्तेमाल करते हैं और हर ज़िक्र को 33 मरतबा दोहराते हैं।
मशहूर अज़कार की तरतीब
- सुब्हान अल्लाह: 33 मरतबा
- अल्हम्दुलिल्लाह: 33 मरतबा
- अल्लाहु अकबर: 34 मरतबा
तस्बीह पढ़ने में टेक्नोलॉजी का एक बेहतरीन इस्तेमाल
दोस्तों, आप ऑनलाइन तस्बीह काउंटर के ज़रिए भी तस्बीह पढ़ सकते हैं और अल्लाह की इबादत कर सकते हैं। यह जदीद टेक्नोलॉजी का एक बेहतरीन इस्तेमाल है जो आपको कहीं भी और किसी भी वक्त तस्बीह पढ़ने की सहूलत फराहम करता है
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दोस्तों, शैतान हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है जो हमेशा हमें अच्छे काम करने से रोकने की कोशिश में लगा रहता है। इसी लिए कभी कभी हमें नेक काम करने में सुस्ती महसूस होती है। इस सुस्ती से बचने के लिए, आप हमारा यह मजमून “सुस्ती की दुआ” पढ़ सकते हैं। यह मजमून आपको रूहानी ताकत और हौसला फराहम करेगा ताकि आप नेकी के रास्ते पर चलते रहें और शैतान की रुकावटों का मुकाबला कर सकें। तो आइए, इस मजमून को पढ़ें और अपनी जिंदगी को बरकतों से भरपूर बनाएं।
नतीजा
तस्बीह एक अहम् और मुबारक इबादत है जो अल्लाह के ज़िक्र और याद के लिए की जाती है। ये दिल को सुकून देती है, ईमान को मज़बूत करती है और अल्लाह की क़ुरबत हासिल करने में मददगार साबित होती है। इस लिए हमें रोज़ाना तस्बीह पढ़ने की आदत डालनी चाहिए और इसके फायदे से मुस्तफ़ीद होना चाहिए।
उम्मीद करता हूँ कि आपको ये मजमून पसंद आया होगा और आप अच्छे तरह जान चुके होंगे कि Tasbih me kya padhe,
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FAQs
तसबीह करने का बेहतरीन वक्त कौन सा है?
तसबीह किसी भी वक्त की जा सकती है, लेकिन ज्यादा तर लोग सुबह और शाम या नमाज़ के बाद तसबीह करते हैं।
तसबीह में कितनी तादाद में पढ़ना चाहिए?
तसबीह की तादाद मुख्तलिफ हो सकती है, जैसे कि 33 या 100 मर्तबा। बाज़ लोग मुख्तलिफ मौकों पर मुख्तलिफ तादाद में तसबीह करते हैं।
तसबीह के क्या फायदे हैं?
तसबीह करने से इंसान के दिल को सुकून मिलता है, रूह की पाकीजगी हासिल होती है, और मुशकिलात में आसानी पैदा होती है।
तसबीह करने का सही तरीका क्या है?
तसबीह करने का सही तरीका यह है कि इंसान साफ दिल और खालिस नियत के साथ अल्लाह तआला की याद करे और दिल को अल्लाह तआला की तरफ मुतवज्जोह रखे।
तसबीह की दुआओं की अहमियत क्या है?
तसबीह की दुआओं की अहमियत बहुत ज्यादा है। यह दुआएं इंसान के दिल को पाक करती हैं और उसे अल्लाह तआला के करीब ले जाती हैं।